सामाजिक पंगुता से बचना है तो दीन दयाल
उपाध्याय के चिंतन पर लौटना होगा-डॉ. शर्मा
गाजियाबाद। पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सामाजिक पंगुता के खतरे से बचने के लिए हमें दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन पर ही लौटना होगा। एकात्म मानववाद के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारत की तत्कालीन राजनीति और समाज को उस दिशा में मुड़ने की सलाह दी है, जो सौ फीसदी भारतीय है। प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ शैक्षणिक संस्थान की ओर से आयोजित वर्चुअल विचार संगोष्ठी में डॉ. शर्मा ने यह बात कही। वह ‘आजादी के 75 साल और एकात्म मानव दर्शन’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एक मानव के संपूर्ण सृष्टि से संबंध पर व्यापक दृष्टिकोण रखने का काम किया था। वे मानव को विभाजित करके देखने के पक्षधर नहीं थे। वे मानवमात्र का हर उस दृष्टि से मूल्यांकन करने की बात करते हैं, जो उसके संपूर्ण जीवनकाल में छोटी अथवा बड़ी जरूरत के रूप में संबंध रखता है। दुनिया के इतिहास में मानव-मात्र के लिए अगर किसी एक विचार दर्शन ने समग्रता में चिंतन प्रस्तुत किया है तो वो एकात्म मानववाद का दर्शन है। डॉ. शर्मा के मुताबिक दीनदयाल समाजवाद और साम्यवाद को कागजी और अव्यावहारिक सिद्धांत के रूप में देखते थे। उनका स्पष्ट मानना था कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में ये विचार न तो भारतीयता के अनुरूप हैं और न ही व्यावहारिक ही हैं। भारत को चलाने के लिए भारतीय दर्शन ही कारगर वैचारिक उपकरण हो सकता है। चाहे राजनीति का प्रश्न हो, चाहे अर्थव्यवस्था का प्रश्न हो अथवा समाज की विविध जरूरतों का प्रश्न हो। वे जानते थे कि यह देश मेहनतकश लोगों का है, जो अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए राज्य पर आश्रित कभी नहीं रहे हैं। डॉ. शर्मा ने दावा किया कि सामाजिक पंगुता के इस खतरे से बचने के लिए हमें दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन पर ही लौटना होगा। मानव के कल्याण का यही एकमात्र रास्ता है। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि दीन दयाल जी का एकात्म मानव दर्शन आज भी प्रासंगिक है। इसका अनुपालन जरूरी है। मेवाड़ विश्वविद्यालय में इसका प्रयोग किया जा रहा है। समाज में समरसता लाने का प्रयास इसी एक सूत्र से संभव है। विचार संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र सहित मेवाड़ संस्थान का स्टाफ आदि उपस्थित रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने किया। अंत में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।