*एक स्वस्थ नारी से ही समुन्नत दुनिया का निर्माण संभव, उन्हें अच्छी परवरिश दें: डॉ उपासना अरोड़ा
(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च पर विशेष)
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद की निदेशिका डॉ उपासना अरोड़ा मानवीयता और व्यवहारिकता की प्रतिमूर्ति समझी जाती हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है और आगे भी करने का इरादा रखती हैं। जीवन के अप्रत्याशित संघर्षों के बाद निज प्रेरणा से उन्होंने जो सफलता हासिल की है, वह आधुनिक महिलाओं के लिए किसी मिशाल के जैसा है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले उन्होंने मीडिया जगत से बातचीत की, ताकि उनके स्वस्थ दृष्टिकोण से देश-दुनिया को अवगत कराया जा सके। बातचीत के दौरान उन्होंने आत्मीयता, मानवता, सेवाभाव, कर्तव्य परायणता, व्यवहारिकता और चिकित्सा जगत के उन पहलुओं को उजागर कर दिया, जिसे जानना-समझना देश और देशवासियों की आज सबसे बड़ी जरूरत है। यहां प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के कुछ खास अंश:- 
सवाल:- आप चिकित्सा क्षेत्र की एक बड़ी हस्ती बन चुकी  हैं। आखिर कैसे पहुंचीं इस मुकाम तक और आगे आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
जवाब:- मेरा प्रारंभिक जीवन अप्रत्याशित घटनाओं से प्रभावित हुआ, लेकिन मैं बहुत सूझबूझ और मजबूत इरादों वाली महिला हूँ। कहते हैं न कि जहां चाह है, वहां राह है। मैं तो आईएएस ऑफिसर बनना चाहती थी, लेकिन वक्त व हालात ने मुझे चिकित्सा क्षेत्र में उतार दिया, फिर हमने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। ऐसा इसलिए सम्भव हो सका, क्योंकि मेरा विवाह श्री पी. एन. अरोड़ा के साथ हुआ, जो कि इस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इन्होंने हर कदम पर मेरा सहयोग किया, क्योंकि मैं अपनी शिक्षा के माध्यम से मिली जीवन की राह को एक बेहतर राष्ट्र बनाने की दिशा में अपना सहयोग देकर आगे बढ़ना चाहती थी। समय और हालातों से समझौता करते हुए इस मुकाम तक पहुंची हूँ। गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देते हुए अपने अस्पताल समूह का विस्तार करना मेरी पहली प्राथमिकता है।
सवाल:- स्वास्थ्य क्षेत्र में मानवीयता और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन आपने कैसे किया।
जवाब:- हेल्थ सेक्टर से जुड़े व्यक्तियों को मानवीयता और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझना अत्यंत आवश्यक है। मैंने इसी पक्ष को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाये और सफल हुई। इसके लिए मैंने कई कोर्स किए और फिर लगातार इस सेक्टर में आगे बढ़ती रही। मेरी राय है कि हमारे देश में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता कहीं अधिक है। क्योंकि ग्रामीण महिलाएं शहरी महिलाओं की अपेक्षा कहीं अधिक काम करती हैं, लेकिन उनके काम का स्वरूप दूसरा है। 
सवाल:- भारतीय समाज में लड़के की बजाय लड़कियों पर कम ध्यान दिया जाता है। आप क्या कहना चाहेंगी।
जवाब:- मेरा मानना है कि हर परिवार में लड़के की बजाय लड़की पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है। खासकर उसकी शिक्षा से लेकर उसके खानपान तक में भी कतई भेदभाव नहीं होना चाहिए। वैसे अधिकांश घरों में एक माता अपने पुत्र को पोषक तत्व खिलाती है, जबकि मेरा मानना है कि एक लड़की को कहीं ज्यादा मजबूत बनाने की दरकार है। क्योंकि एक लड़की विवाहोपरांत सृष्टि को आगे बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान देती है। इसलिए हमें एक लड़की के जन्म के समय से उसकी भलाई में ईमानदारी से विश्वास करना चाहिए। एक स्वस्थ परिवार और आगे एक समृद्ध समाज और उससे आगे एक सम्भ्रांत देश की जड़ें एक स्वस्थ बालिका से निहित होती हैं। चूंकि महिलाओं में इस दुनिया में एक नया जीवन लाने की क्षमता है और केवल एक स्वस्थ महिला ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है जो एक स्वस्थ पीढ़ी को बनाए रख सकती है। इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए हमें शुरू से ही बालिकाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और अच्छे भोजन की आदतों को सुनिश्चित करना चाहिए। उनके मानसिक स्वास्थ्य और सबसे बढ़कर एक स्वस्थ जीवन शैली पर सदैव ध्यान दिया जाना चाहिए। निजी तौर पर, मैं महिलाओं को एक संदेश देना चाहती हूँ कि वह अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखें। क्योंकि घर, व्यवसाय और जीवन चलाना तभी संभव है जब आपके पास सही मानसिकता हो। सही मानसिकता, अच्छी मानसिक भलाई, एक स्वस्थ शरीर और आत्मा, एक अच्छी तरह से प्रबंधित जीवन शैली, परिवार के भीतर या काम पर एक खुला संचार चैनल और काम से नियमित रूप से ब्रेक लेने का गठन करती है, इसलिए कुछ भी आपके सिर पर नहीं जाता है या आपको परेशान नहीं करता है।
सवाल:- पुरुष प्रधान भारत में महिलाओं के प्रति मानसिकता कितनी बदली है।
जवाब:-  यहां मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगी कि जिन महिलाओं ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त कर ली हैं, उन्हें कम से कम बीस महिलाओं को जोड़ कर उनके भविष्य को संवर्धित करने में अपना विशेष योगदान देना चाहिए। हालांकि भारतीय पुरुषों में भी अब महिलाओं के प्रति मानसिकता बदली है। उनके प्रति उनका सम्मान बढ़ा है। आजकल 70 प्रतिशत पुरुष, महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह सच है कि पहले वित्तीय मामलों सहित कई क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं को प्रोत्साहन नहीं मिलता था, लेकिन अब स्त्री शक्ति चिकित्सक है, हवाई जहाज की पायलेट है, इंडस्ट्रियलिस्ट है, सीए है और देश के वित्तीय हालात को संभालने वाली वित्तमंत्री तक है। केंद्रीय वित्तमंत्री के रूप में श्रीमती निर्मला सीतारमण का चयन करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। उन्होंने समय रहते ही एक महिला सादगी और विद्वत्ता की ताकत को पहचाना और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भरोसा करने के साथ साथ भरोसा भी दिलवाया।
सवाल:- हेल्थ सेक्टर की शीर्ष हस्ती बनने के लिए किसी को क्या करना चाहिए।
जवाब:- हेल्थ सेक्टर में मेरा मानना है कि शीर्षक्रम पर जितने भी जिम्मेदार हस्तियां हैं उन्हें अपने पेशे को “विश्वास के आधार” पर और अधिक मजबूती दी। यही सबको देने की आवश्यकता है। अगर हर प्रमुख “हेल्थ शीर्षस्थ हस्ती” अपने क्षेत्र पर लगातार नजर रखते हुए कर्मचारियों के साथ सामंजस्य बनाये तो यह क्षेत्र देश में और अधिक मजबूत होगा। जहाँ तक हमारी बात है तो हमारे हास्पिटल में रिसर्च सेंटर भी है जहां मरीज से लेकर बीमारी और दवाईयों, उसके सकारात्मक असर और नकारात्मक असर पर रिसर्च करने के साथ डाटा भी एकत्रित कर रिसर्च की जाती हैं। 
सवाल:- भारत के चिकित्सकों के विषय में आपकी क्या राय है। अनुभवजन्य परिस्थितियों के आधार पर प्रामाणिक रूप से बताइए।
जवाब:- हमारे देश की चिकित्सा और चिकित्सकों पर मुझे तब और अधिक गर्व हुआ जब मैं अपने से सम्बंधित एक रोग के बारे में समुचित चिकित्सा हेतु विदेश गई और वहां के वरिष्ठ चिकित्सकों से सलाह-मशविरा किया। उन्होंने मेरी ट्रीटमेट सम्बंधी प्रेसक्रिप्शन को देखने के बाद कहा कि “आपका सबसे बेहतर इलाज हिन्दुस्तान में चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, इसलिए आपको कहीं भी दिखाने की जरूरत नहीं है।” इन शब्दों ने मेरे देश के चिकित्सकों के प्रति सम्मान को और अधिक गर्व से उन्नत कर दिया।
सवाल:- एक महिला कई भूमिका में दिखाई देती हैं। सबमें अच्छा तालमेल बिठा लेती हैं, वो कैसे?
जवाब:- एक महिला, एक पत्नी, एक माँ, एक व्यवसायी महिला और बहुत कुछ के रूप में, वह हमेशा खुद से कहती है कि एक महिला के लिए और भी बहुत कुछ है जो आंख से मिलती है। महामारी के पिछले कुछ वर्षों में वह प्रेरित और आत्म-प्रेरित महिला की एक टीम के साथ नेतृत्व करने और काम करने के लिए भाग्यशाली रही हैं, जिन्होंने अपने निजी जीवन और घरों के प्रबंधन से परे, इस तथ्य पर ध्यान दिया कि हम एक संघर्षरत समाज की सेवा कर रहे थे। जो अन्य सामान्य बीमारी और स्थितियों के अलावा कोविड-19 से डरा हुआ।उन्होंने अनुभव किया कि टीम के भीतर महिलाएं सबसे महत्वपूर्ण मामलों में आसानी से भाग लेती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी सुरक्षित महसूस करें और उन्हें सर्वोत्तम तरीकों से प्राथमिकता दी जाए। स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा करना, उनके लिए व्यक्तिगत रूप से देखभाल, विनम्रता, अपनेपन और बहुत कुछ का एक सबक रहा है और वह अपनी टीम को आगे भी यही सिखाती हैं।
सवाल:- महिला सशक्तिकरण के बारे में आपकी क्या राय है। यह कितना सफल है।
जवाब:- पिछले एक दशक में महिला सशक्तिकरण शब्द ने जोर पकड़ लिया है और उन्हें लगता है कि हम महिलाओं के रूप में हमेशा काम करने वाली नौकरियों और व्यवसायों के प्रबंधन से लेकर शादी करने और घरों का प्रबंधन करने और एक बच्चे को जन्म देने तक का अधिकार था और अभी भी वही काम कर रहे थे, जो हमने किया था। क्योंकि हमारा जीवन यह मायने रखता है और अक्सर इन स्थितियों में हम अपने आप को, अपने स्वास्थ्य, अपनी मानसिक भलाई और परिवार या व्यवसाय या बच्चे की देखभाल करने की उपेक्षा करते हैं जिसका हम पालन-पोषण कर रहे हैं। खासकर पिछले दो साल, जो अब तक जी चुके हैं, इस बात का स्पष्ट प्रतिबिंब थे कि हम सभी को एक साथ क्या पकड़ सकते हैं और हम वास्तव में कितनी अच्छी तरह से प्रबंधन कर सकते हैं। वह नोज़ाके शांगे के एक उद्धरण को याद करती हैं जो इस प्रकार है- “जहां एक महिला होती है, वहां जादू होता है।”  और, मैं इन शब्दों में दृढ़ता से विश्वास करता हूं। मेरी अनुभव ऐसी रही है कि आप एक महिला को एक जिम्मेदारी देते हैं और फिर आप इसके बारे में भूल सकते हैं क्योंकि महिलाएं भावुक प्राणी हैं जो चीजों को उस तरह से करने में कोई कसर नहीं छोड़ सकती हैं जैसे उन्हें किया जाना चाहिए। हमें अच्छे व्यवसाय प्रबंधक, वक्ता, प्रवक्ता और क्या नहीं कहा जाता है, लेकिन हम इस सब के सार को भूल जाते हैं, जो हमारे लिए एक ऐसा दिन मना रहा है जहां हम मुश्किल से उन बलिदानों को याद करते हैं जो एक महिला को हर दिन, हर महीने करना पड़ता है, हर साल, और कभी-कभी जीवन भर।
सवाल:- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का जश्न महिलाएं कैसे मनाएं?
जवाब:- सभी महिलाओं का आह्वान करते हुए मैं कहना चाहूंगी कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने आप को और उन उपलब्धियों का जश्न मनाएं जो आपने अतीत में हासिल की हैं और जो भविष्य में आपकी योजनाओं में शामिल है, जिसे आप बनाई है। इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कितना बड़ा या छोटा है। जैसा कि मैंने कहा, हम महिला दिवस हर रोज मनाते हैं, या हर पल मनाते हैं। हमें यह बताने के लिए महिला दिवस की आवश्यकता नहीं है कि हम विशेष हैं। बल्कि हम बेहद खास हैं क्योंकि हम एक जीवन को जन्म देने में सक्षम हैं। हमें केवल दूसरों को यह दृष्टिकोण देना है कि हम विशेष हैं और नारीत्व की उस पवित्रता को बनाए रखें। क्योंकि जब वे जानते हैं कि हम सशक्त हैं, तभी हम वास्तव में होंगे। दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में हमेशा से ही मेरी सोच रही है कि दुनिया को नारीत्व का जश्न मनाने के लिए एक दिन की जरूरत नहीं है, बल्कि हम निरन्तर यह सोचना चाहिए कि हमारे पास क्या है या हम क्या हासिल कर सकते हैं। हम अपने जीवन में हर दिन के बजाय हर पल क्या कुछ हासिल करते हैं। आप मानें या न मानें, लेकिन एक आत्मा को जन्म देने से लेकर घर चलाने तक, और उससे आगे व्यवसाय चलाने तक, महिलाओं को बस इस बात का कम आंकलन किया जाता है कि वे क्या करती हैं या कर सकती हैं। इस महिला दिवस पर वह इस बात को दोहराना चाहेंगी कि अगर किसी के लिए इसका कोई मतलब नहीं है तो हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है। हालांकि यह एक ऐसा दिन है जब हम महिलाओं को महत्व देते हैं और पहचानते हैं कि उन्होंने परिवार, समाज या दूर से अपने लिए क्या किया है। इसलिए मैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को दुनिया भर में हर महिला के लिए उत्सव के दिन के रूप में चिह्नित करती हूं। इसका मतलब यह है कि यह केवल इस दिन नहीं है कि हम महिला दिवस मनाते हैं बल्कि हम इसे हर एक दिन मनाते हैं, क्योंकि हर दिन एक महिला ऊपर और चमकता है।
सवाल: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर युवतियों-महिलाओं को आप क्या सन्देश देना चाहेंगी।
जवाब:- मैं ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ मिशन से भी जुड़ी हुई हूँ। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए मैं अपने देश की महिलाओं और युवतियों सहित सभी से यही कहूंगी कि वो अपनी क्षमता को खुद पहचानें, खुद पर विश्वास करें, अपनी क्षमता को लगातार बढ़ाते रहें, खुद के सीखने की प्रक्रिया और शिक्षा को लगातार मजबूत करते रहे। साथ ही अपनी नीयत साफ रखें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि हमारा जीवन एक समय तक तो हमारा होता है, लेकिन इसके बाद देश के लिए होता है। इसलिए मदद, परोपकार और मानवीय मूल्यों को लगातार मजबूत करते रहें। आप यह सोच कर हैरान रह जाएंगे कि प्रगति के रास्ते खुद ब खुद खुलते चले जाएंगे। ईश्वर उन्हें प्रगति देगा। यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  दुनिया के लिए हम कौन हैं, इसका एक सौम्य अनुस्मारक है! 
मैं अपनी टिप्पणी को निम्नलिखित पंक्तियों के साथ समाप्त करती हूँ: 
“कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है।” 
News Reporter

1 thought on “*एक स्वस्थ नारी से ही समुन्नत दुनिया का निर्माण संभव, उन्हें अच्छी परवरिश दें: डॉ उपासना अरोड़ा

  1. नारी सशक्तिकरण के लिए बहुत सराहनीय कदम उठाया है , अपने विचार और कर्म क्षेत्र में अपका बहुत सामंजस्य है , इसी तथा आगे बढ़ते रहिये और अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बँटी रहिए

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