गाजियाबाद। भारत बढ़ती हुई जनसंख्या एवं तेजी से बदलते हुए वातावरण के कारण स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों का सामना कर सकता है। चाहे वह राजस्थान की भीषण गर्मी हो या केरल की बाढ़, उत्तराखंड जैसी बादल फटने की त्रासदी इन सबमें भी अव्वल भारत विश्व के सबसे प्रदूषित देशों में शुमार है। अब हम सब जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों से हम अछूते नहीं रहे हैं भारत ही नहीं दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्य को दिन प्रतिदिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। यदि हम 2019 ही देखें तो अभी तक हर एम महीने में कुछ न कुछ मौसम के विपरीत प्रतिकूल प्राकृतिक घटनाएं हुई हैं, जिनसे जान माल की अपार क्षति पहुंची है। इन सभी प्राकृतिक विसंगतियों की वजह से सबसे ज्यादा स्वास्थ संबंधी रोग या अस्थमा बढ़ा है। इसके अलावा संक्रामक रोग वेक्टर जनित रोग, पोषण संबंधित रोग एवं मानसिक रोग सबसे ज्यादा बढ़ गए हैं। यदि हाल ही के आंकड़ों को हम देखें तो हमें पता चलता है कि भारत में 12.5 प्रतिशत मृत्यु केवल वायु प्रदूषण की वजह से हुई है। क्योंकि डॉक्टर समाज में एक अपनी अलग पहचान एवं प्रतिष्ठा रखते हैं ऐसे में सेंटर फॉर एनवायरमेंटल हेल्थ एवं पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन इंडिया ने विश्वभर में 20 सितंबर 2019 से एक अभियान शुरू किया है, जिसमें डॉक्टर एवं हेल्थ केयर स्टाफ अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकालकर पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ लेते हैं। उसे सोशल मीडिया एवं अन्य प्रचार प्रसार माध्यम से समाज के हर वर्ग तक इस अपील के साथ पहुंचाते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक पॉलीथिन का प्रयोग न करें। वही पेड़ों को कटने से बचाने के लिए कागज का दुरुपयोग भी न करें, साथ ही डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वह समाज के हर वर्ग को पर्यावरण को बचाने के लिए जागृत करेंगे एवं समाज में इस हेतु अग्रणी रहकर एक नायक के रूप में काम करेंगे। इसी क्रम में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गाजियाबाद में हॉस्पिटल की डायरेक्टर उपासना अरोड़ा के नेतृत्व में हॉस्पिटल के सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया एवं पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ भी ली। उपासना अरोड़ा ने इस अवसर पर कहा कि हम भारत के सभी डॉक्टरों एवं चिकित्सा कर्मियों को इस मुहिम से जोड़ेंगे और समाज में पर्यावरण को बचाने के लिए आगे रहकर जागृत करेंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि यशोदा हॉस्पिटल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, मरकरी रहित हॉस्पिटल, कचरे एवं बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण जैसी चीजों एवं योजनाओं के माध्यम से हॉस्पिटल के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचाया जा रहा है। इसी क्रम में हमें भारत की एक बड़ी एजेंसी ब्यूरो वैरिटस द्वारा ग्रीन एंड क्लीन हॉस्पिटल का खिताब भी मिल चुका है, जो भारत में केवल यशोदा हॉस्पिटल कौशांबी को मिला है।