6 सितम्बर की रात का वक्त था और पूरा देश बड़ी ही बेसब्री से गौरवान्वित हो लैंडर विक्रम के चांद की धरती पर उतरने का उत्साहपूर्वक इंतजार कर रहा था, किन्तु इसरो द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक़ ऐसा नहीं हुआ और दो किलोमीटर पहले ही चंद्रयान से संपर्क टूट गया, चंद्रयान मिशन के इस अभियान पर अपने विचार प्रकट करते हुए यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ समाजसेवी डॉ पीएन अरोड़ा ने कहा कि यह भारत और इसरो की असफलता नहीं है। स्पेस साइंस में इस मिशन से भारत ने चंद्रयान-2 के जरिए नया इतिहास रचा है। उन्होंने इसरो की टीम को बधाई देते हुए कहा कि चांद पर उतर रहे लैंडर विक्रम से भले ही संपर्क टूट गया, लेकिन 130 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं। इसरो के प्रमुख एवं सभी वैज्ञानिकों को यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सभी डॉक्टरों, स्टाफ,प्रबंधन एवं गाज़ियाबाद की जनता की ओर से उन्होंने हार्दिक बंधाई एवं आभार व्यक्त किया. डॉ अरोड़ा ने वैज्ञानिकों का ढांढस बढ़ाते हुए कहा कि वैज्ञानिक प्रयोगों में ऐसा होता रहता है, इसमें निराश होने की कोई बात नहीं है, और जो जानकारी मिली उसके मुताबिक विक्रम लैंडर का धरती के साथ संपर्क भले ही टूट गया है लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि अभी इस मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता. लैंडर से पुन: संपर्क स्थापित हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर लैंडर विफल भी हो जाए तब भी ‘चंद्रयान-2′ का ऑर्बिटर एकदम सामान्य है और वह चांद की लगातार परिक्रमा कर रहा है. 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है. एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है. गौरतलब है कि भारत का चंद्रयान पिछले 43 दिनों से अंतरिक्ष में है. 3.8 टन वजनी यह यान फिलहाल चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काट रहा है. सोमवार दोपहर हुए एक महत्वपूर्व पड़ाव में चंद्रयान से विक्रम लैंडर अलग कर दिया गया था. डॉ अरोड़ा ने कहा कि इस मिशन के साथ गाजियाबाद एवं देश का युवा, छात्र, बच्चे एवं जुड़ा हुआ हर व्यक्ति अति उत्साहित था, और मैं भी बहुत आशापूर्ण था, मेरे विदेश में जो रिश्तेदार रहते हैं उनसे भी बराबर बंधाई सन्देश मिल रहे थे. किन्तु हम भारतीयों में बचपन से ही असफलताओं को भी सकारात्मक रूप में लेना और अपनी गलतियों से सीखना सिखाया जाता है इसलिए हम सब हतोत्साहित नहीं हैं और पुनः पूरी तैयारी से हमें और प्रयास करने चाहिए, इस अभियान से चांद को छूने का जब्जा और बढ़ा है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शब्दों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक विज्ञान है और विज्ञान असफलता नहीं होती है. चंद्रयान के सफर का आखिरी पड़ाव भले ही आशा के अनुरूप नहीं रहा है लेकिन उसकी यात्रा शानदार रही है. हमारा ऑर्बिटर चंद्रमा के शानदार चक्कर लगा रहा है.