धारा 370 के तहत विशेष प्रावधानों को खत्म करना भारतीय संसद का एक ऐतिहासिक क्रांतिकारी कदम : डॉ पीएन अरोड़ा 
17 अक्टूबर 1949 को एक एक ऐसी घटना घटी जिसने जम्मू और कश्मीर का इतिहास बदल दिया। दरअसल, संसद में गोपाल स्वामी आयंगर ने खड़े होकर कहा कि हम जम्मू और कश्मीर को नया आर्टिकल देना चाहते हैं। उनसे जब यह पूछा गया कि क्यों? तो उन्होंने कहा कि आधे कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है और इस राज्य के साथ समस्याएं हैं। आधे लोग उधर फंसे हुए हैं और आधे इधर। वहां की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा अलग है तो ऐसे में वहां के लिए फिलहाल नए आर्टिकल की जरूरत होगी, क्योंकि अभी जम्मू और कश्मीर में पूरा संविधान लागू करना संभव नहीं होगा। अतत: अस्थायी तौर पर उसके लिए 370 लागू करना होगी। जब वहां हालात सामान्य हो जाएंगे तब इस धारा को भी हटा दिया जाएगा। फिलहाल वहां धारा 370 से काम चलाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि सबसे कम समय में डिबेट के बाद यह आर्टिकल पार्लियामेंट में पास हो गया। यह संविधान में सबसे आखिरी में जोड़ी गई धारा थी। इस धारा के फेस पर भी लिखा है कि ‘टेम्परेरी प्रोविंजन फॉर द स्टेट ऑफ द जम्मू और कश्मीर’। यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं  समाजसेवी डॉ पीएन अरोड़ा ने कहा कि भारतीय संविधान के 21वें भाग का 370 एक अनुच्छेद है। 21वें भाग को बनाया ही गया अस्थायी प्रावधानों के लिए था जिसे कि बाद में हटाया जा सके। इस धारा के 3 खंड हैं। इसके तीसरे खंड में लिखा है कि भारत का राष्ट्रपति जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा के परामर्श से धारा 370 कभी भी खत्म कर सकता है।  जब कोई आर्टिकल या धारा टेम्परेरी बनाई जाती है तो उसको सीज करने या हटाने की प्रक्रिया भी लिखी जाती है। उसमें लिखा गया कि प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया जब उचित समझें और उन्हें लगे कि समस्याओं का हल हो गया है या जनजीवन सामान्य हो गया तो वह उस धारा को हटा सकता है। आज भारत की संसद ने इस धारा के प्रथम खंड को छोड़कर बाकी खण्डों में प्रदत्त विशेष अधिकार को समाप्त कर इतिहास रच दिया है। डॉ अरोड़ा का मानना है कि अब सही मायने में जम्‍मू-कश्‍मीर का विकास हो सकेगा और यह राज्‍य पूरे देश के साथ एक सूत्र में बंधा रहेगा। इससे भारत की अखंडता और मजबूती से उभरेगी। खबर फैलते ही यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी में सभी डॉक्टरों ने एवं स्टाफ ने खुशियां मनानी शुरू कर दी। कई विभागों में जहा कश्मीरी स्टाफ कार्यरत हैं वहां मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया गया।  डॉ अरोड़ा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर धारा-370 की वजह से अलग-थलग पड़ा था। सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अलग दिखता था। अब सही मायने में अपना देश एक दिखेगा। अन्य राज्यों के लोग वहां रह सकेंगे। आतंकवाद वहां चरम पर था , समाप्त होगा और भय का माहौल नहीं रहेगा। युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे । उद्योगपति वहां पूंजी लगा औद्योगिक कारखाने लगाएंगे ।कश्मीरी पंडित भी अपने पैतृक स्थान पर रह सकेंगे। विशेष राज्य का दर्जा के चलते जो आर्थिक बोझ था, वह भी कम होगा। लेह-लद्दाख का भी विकास होगा। जम्मू की आबादी कश्मीर से तीन गुणा है। पुराने ढांचे की वजह से वहां के लोगों को सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलता था। अब वहां की विधानसभा में भी संतुलन आएगा। दिशाहीन युवक अब देश की मुख्यधारा एवं देश की चल रही विभिन्न योजनाओं का सही मायने में लाभ उठा पाएंगे. डॉ अरोड़ा ने कहा कि यहां यह समझने वाली बात यह है कि धारा 370 भारत की संसद तब लेकर आई थी जब वहां युद्ध जैसे हालात थे और उधर (पीओके) की जनता इधर पलायन करके आ रही थी। ऐसे में वहां भारत के संपूर्ण संविधान को लागू करना शायद नेहरू ने उचित नहीं समझा या नेहरू ने इस संबंध में शेख अब्दुल्ला की बात मानी हो। लेकिन यह भी कहा गया कि इसी बीच वहां पर भारत के संविधान का वह कानून लागू होगा जिस पर फिलहाल वहां कोई समस्या या विवाद नहीं है। बाद में धीरे-धीरे वहां भारत के संविधान के अन्य कानून लागू कर दिए जाएंगे। इस प्रक्रिया में सबसे पहले 1952 में नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच एक एग्रीमेंट हुआ। जिसे ‘दिल्ली एग्रीमेंट’ कहा गया। आज भारत में एक स्थिर सरकार एवं नेतृत्व है तो क्यों न जम्मू कश्मीर को देश की मुख्य धारा से जोड़ा जाए.  डॉ अरोड़ा ने जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर विधान सभा 26 जनवरी 1957 को भंग हो चुकी है और उसके बाद से राज्य में गवर्नर रूल था, ऐसे में काफी लम्बे समय से जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर मांग चल रही थी तथा अब आम सहमति बन गई है। जबकि फारूक अब्दुल्ला कह चुके हैं कि मोदी दस बार भी भारत के प्रधानमंत्री बन जाएं तब भी धारा 370 को हटाया नहीं जा सकता है। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि या तो 370 रहेगा या फिर जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। इसलिए इन अलगाववादी बयानों एवं प्रयासों को धराशायी करने एवं जम्मू कश्मीर के समग्र विकास हेतु यह कदम उचित है। आज भारत में एक स्थिर सरकार एवं नेतृत्व है तो क्यों न जम्मू कश्मीर को देश की मुख्य धारा से जोड़ा जाए. राज्यसभा में हंगामे के बीच जिस तरह से गृहमंत्री अमित शाह ढृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान कर दिया वह सराहनीय है । इसके साथ एक ऐतिहासिक कदम उठा आज जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है। वहीं जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनेगा। डॉ अरोड़ा ने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 का सहारा लेकर तीन परिवारों ने सालों तक जम्मू-कश्मीर को लूटा है। 

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