हम मुस्कुराना भूल गये हैं। खुश रहना हमारे बस की बात नहीं रही। हम किसी भी उत्सव पर अपने पड़ोसियों के साथ खुशियां नहीं बांटते। हम पड़ोसियों को छोड़िये अपने माता-पिता, भाई-बहनों आदि रिश्तेदारों को भी अब अपनी खुशी में शामिल करने से कतराने लगे हैं। महानगरों में लाखों-करोड़ों रुपयों के भारी-भरकम सुविधाजनक फ्लैटों में भी हमें खुशी नहीं मिलती। रविवार हो या फिर कोई और छुट्टी का दिन, हम अपने बच्चों को कारों में भरकर निकलना चाहते हैं पिकनिक पर, किसी खुशी की खोज में, लेकिन क्या हम वास्तव में बहुत पैसा कमाने के बाद भी महानगरों में अपने रिश्ते-नातेदारों से दूर खुश हैं? क्या हम शांति और सुख के ख़ज़ाने लेकर जीवन जी रहे हैं? शायद नहीं। कहते हैं कि जिसके पास पैसा कम होता है उसका जीना मुश्किल होता है, लेकिन जिसके पास भरपूर पैसा होता है, उसका जीना तो असंभव है। यही कारण है कि हम महानगरों में हास्यासन कर-करके हंसने की नाकाम कोशिशों में लगे हैं। दूसरों के बीच हम ज्यादा खिलखिलाने का नाटक करते हैं। मैने ही अपने एक गीत में कुछ ऐसा अनुभव लिखा था-
’‘महानगर में हँसना तो केवल एक बहाना है
सच तो ये है आँसू का हम पर बड़ा ख़ज़ाना है
बाहर सुमनों के लेखे, भीतर तक किसने देखे
खाते तीखे शूलों के, कहां गये दिन फूलों के??’’
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में 20 मार्च को विश्व खुशहाली दिवस घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र की ये सूची 6 कारकों पर तय की जाती है। इसमें आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक सपोर्ट, आजादी, विश्वास और उदारता शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में समग्र विश्व खुशहाली में गिरावट आई है, जो ज्यादातर भारत में निरंतर गिरावट से बढ़ी है। भारत 2018 में इस मामले में 133वें स्थान पर था जबकि इस वर्ष 140वें स्थान पर रहा। संयुक्त राष्ट्र की सातवीं वार्षिक विश्व खुशहाली रिपोर्ट, जो दुनिया के 156 देशों को इस आधार पर रैंक करती है कि उसके नागरिक खुद को कितना खुश महसूस करते हैं। इसमें इस बात पर भी गौर किया गया है कि चिंता, उदासी और क्रोध सहित नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि हुई है। फिनलैंड को लगातार दूसरे वर्ष दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है। उसके बाद डेनमार्क, नॉर्वे, आइसलैंड और नीदरलैंड का स्थान है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान 67वें, बांग्लादेश 125वें और चीन 93वें स्थान पर है। युद्धग्रस्त दक्षिण सूडान के लोग अपने जीवन से सबसे अधिक नाखुश हैं, इसके बाद मध्य अफ्रीकी गणराज्य (155), अफगानिस्तान (154), तंजानिया (153) और रवांडा (152) हैं। दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक होने के बावजूद, अमेरिका खुशहाली के मामले में 19वें स्थान पर है। यानी हम खुशहाली में आतंकी देशों से भी पीछ़े हैं। पाकिस्तान, चीन आदि देश हमसे बहुत आगे हैं। हम क्यों जीवन को सुविधाओं की भट्टी में झोंककर खुद को तनावग्रस्त बनाते जा रहे हैं। जीवन जीना क्यों अब कठिन हो गया है, आइये इसपर विचारें और भीतर के मनुष्य को ज़िन्दा और खुश रखने की भरपूर कोशिश करें। वरना हम दुनिया में सबसे मनहूस और तनावग्रस्त देश के बाशिन्दे कहलाएंगे।
#चेतन आनंद
Nice Article
बेहतरीन
Thoughtful article
अच्छा लेख है, बधाई ।
लोग बहुत छोटे दायरे में सिमट गयें हैं ।
मैं और मेरा परिवार, अगर इस से बाहर निकले तो बदलाव आएगा ।
शानदार आलेख 👏🏻👏🏻👏🏻
अच्छी बात चेतन आनंद जी