नई दिल्ली। हिंदी साहित्य की विविध कलाओं को समर्पित साहित्यम संस्था ने चलो दिल की बात हो कविता शो आयोजित कर एक और नया धमाका कर दिया। इसमें चार दर्जन से अधिक नवोदित व स्थापित कवियों ने मनमोहक काव्यपाठ कर सबका दिल जीत लिया। कार्यक्रम सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम के पास अपर्णा आर्ट गैलरी में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता की काव्य जगत के सुपरिचित कवि डॉ. चेतन आनंद ने। जब उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि “प्यार आगे कब बढ़ा तक़रार से रहकर अलग, सीढियां बनती नहीं दीवार से रहकर अलग। लोग सब हैरान, मुझसे पूछते हैं आजकल, तुम ख़बर कैसे बने अख़बार से रहकर अलग।।” हॉल तालियों से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन साहित्यम के संस्थापक युवा हस्ताक्षर आशीष प्रकाश सक्सेना कर रहे थे, जिन्होंने एक गीत देश प्रेम में गाया ,”मै वतन के लिए मर न पाया तो क्या ज़िंदा रहने का जज्बा तो मौजूद है, सुनाया तो सुनने वाले नवीन उत्साह से भर उठे। स्थापित साहित्यकारों में अनिमेष शर्मा, जगदीश मीणा, प्रवीण त्रिपाठी, संगीता तनेजा भी मौजूद रहे। युवा वर्ग के अत्यंत प्रभावशाली कवि कवयित्री व शायर भी अपनी कविताओं के जरिये जुड़े।
इनमें मुस्कान शर्मा, सुमित सिंह, अमित त्रिपाठी, आशीष चौहान, सौरभ सदफ, डॉ राहुल जैन आदि ने माहौल को बिल्कुल साहित्यिक बना दिया। सुमित (कासिद देहलवी) साहब की हर ग़ज़ल मानो दिल की आवाज़ हो. सौरभ सदफ के हर शेर ने लोगों को अपने प्रेम में समेट लिया। संगीता तनेजा की चुनाव पर आधारित व्यंग्य रचना ने खूब वाहवाही लूटी। आशीष चौहान की नज़्म सबको दीवाना कर गई। मुस्कान जो कि प्रेम की कवयित्री हैं, उनके हर छंद हर सवैया में लोगों को साहित्य दर्शन हुए। युवा साहित्यकारों में ओमजी मिश्र, रंजीत ठाकुर, आशीष शर्मा, सिंह दीपक, शैल जौहरी, अमर शक्ति, राहुल शर्मा, एसएस मंडल ने एक अलग ही कीर्तिमान स्थापित किया। ओम जी ने अपने मधुर गीतों से शुरुआत की तो उसकी लौ को दीपक ने और आगे अपनी शानदार ग़ज़ल से उठाया। शैल ने एक ऐसा गीत सामने रखा जिसमें साहित्यम् कारवाँ शब्दों का के हर सदस्य का नाम और उसकी पहचान थी। रंजीत ने छंद पढ़के अपना परिचय दिया। वहीं आशीष ने एक ग़ज़ल कही। राहुल शर्मा ने जब अपनी ओजस्वी वाणी में श्रीराम का परिचय दिया तो लगा मानो आज प्रभु ने स्वयं प्रत्यंचा खींची हो। अमर शक्ति ने ओज स्वर में बताया कि महाभारत में किया गया संकल्प भगवान को अब भी याद है। एसएस मंडल जी ने खूबसूरत ग़ज़ल कहके सारा माहौल ही अपने पक्ष में कर लिया। लोगों ने उन्हें गोदी में उठा लिया। कार्यक्रम ५ घंटे से भी अधिक चला।