शहरी इलाकों में बढ़ रहा है स्ट्रेस

10 अक्टूबर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
भारत के 20 में से 1 व्यक्ति अवसाद से पीड़ित हैं-डॉ पीएन अरोड़ा
कौशाम्बी स्थित यशोदा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ पीएन अरोड़ा ने भारत के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) का हवाला देते हुए कहा कि भारत के 20 में से 1 व्यक्ति अवसाद से पीड़ित है। हर छठे भारतीय को मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता अथवा डॉक्टर की मदद की जरूरत है। ग्रामीण (6.9 प्रतिशत) क्षेत्रों की तुलना में शहरी महानगरों में मानसिक विकारों का प्रसार लगभग दोगुना (13.5 प्रतिशत) है। दुर्भाग्यवश, सामान्य मानसिक विकारों के लिए 85 प्रतिशत और गंभीर मानसिक विकारों के लिए 73 प्रतिशत लोग उपचार नहीं लेते। इस सर्वे में मानसिक विकार वाले कम से कम आधे लोगों ने अपने जीवन में काम, सामाजिक और पारिवारिक जीवन के क्षेत्रों में निष्क्रियता या विकार का अनुभव होना माना है। इसके अलावा, बच्चे और किशोरावस्था मानसिक विकार के प्रति संवेदनशील हैं। 13-17 साल के आयु वर्ग के 9.8 मिलियन युवा भारतीयों को सक्रिय उपचार की आवश्यकता है। इन गंभीर आंकड़ों के बावजूद, सामान्य चिकित्सकों और आम जनता द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर उपेक्षित किया जाता है। मानसिक बीमारी होने का तमगा लगने से बचने के लिए लोग इसका इलाज नहीं कराते, न ही डॉक्टर के पास जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप बीमारी के लक्षणों और लक्षणों से इंकार और उपेक्षा होती है, जो मामले को और जटिल बनाते हैं। यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, कौशाम्बी की ही मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता डॉ. रीमा सहगल ने कहा है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानसिक खुशहाली, सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं स्वस्थ शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। मन और शरीर निकट से जुड़े हुए हैं। जब मन तनावग्रस्त हो जाता है, शरीर सुस्त महसूस करता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द या पीड़ा का अनुभव होता है। कुछ लोगों का पेट खराब हो जाता है, जबकि अन्य परेशानी महसूस करते हैं। नियमित या लगातार तनाव से हृदय रोग, रक्तचाप, मधुमेह और अन्य बीमारियों या मानसिक विकार जैसे अवसाद या चिंता जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यशोदा में, हम उपचार, रोकथाम और मनो-शैक्षणिक सेवाएं प्रदान करते हैं। उपचार में दवाओं या मनोचिकित्सा (टॉक थैरेपी) का इस्तेमाल होता है, किसी-किसी रोगी को दोनों की आवश्यकता पड़ सकती है, रोगी की आवश्यकता और बीमारी के पूर्वानुमान के आधार पर उपचार का निर्णय होता है। एक मनोवैज्ञानिक मरीज के साथ सायको थैरैपी (संवाद द्वारा इलाज) के माध्यम से और रोगी के साथ एक प्रोफेशनल संबंध विकसित करता है, जिससे मरीज अपनी भावनाओं एवं अपने व्यवहार को समझकर बदलाव ला पाते हैं। मनोविज्ञान के माध्यम से इलाज की जाने वाली कुछ सामान्य समस्याओं में तनाव और भावनात्मक चिंताओं, बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं, सामाजिक समायोजन, रिश्ते के मुद्दों, कार्य-जीवन संतुलन, अकादमिक करियर की चिंता, अवसाद, मनोवैज्ञानिक विकार आदि शामिल हैं।
यशोदा में चल रहे मनो-शिक्षा कार्यक्रम-
ग्रुप थैरेपी कार्यक्रम निम्न प्रकार के हैं, जिनके माध्यम से लोगों को तनावपूर्ण जीवन से बचने एवं व्यावहारिक से बढ़ा सकें या तनाव से निपटने के तरीकों को सीख सकें, जैसे कि –
स्ट्रेस मैनेजमेंट
पेरेंटिंग स्किल प्रशिक्षण
बच्चों से अटैचमेंट (0-3 साल की माताओं) (कनाडा के मनोविज्ञान फाउंडेशन में प्रशिक्षित)
 करियर मार्गदर्शन (कक्षा 10-12 के छात्र)
कक्षा 11 में विषय धारा चयन (कक्षा 9-10 के छात्र)
गर्भावस्था की देखभाल (पहले तिमाही के बाद)
बच्चों में तनाव- अभिभावकों के लिए कार्यक्रम (4-10 साल के माता-पिता) (कनाडा के मनोविज्ञान फाउंडेशन में प्रशिक्षित)

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