मेवाड़ में पहली बार मनाया गया गांधी सप्ताह 
लाल बहादुर शास्त्री जयंती भी समारोहपूर्वक आयोजित
विद्यार्थियों ने नाटकों, कविताओं, भजनों व गीतों के जरिये किया महापुरुषों को याद
गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस में पहली बार आयोजित गांधी सप्ताह धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के अलावा गांधी जी के आदर्शों, जीवन वृत्त व विचारों पर आधारित नाटकों, एकांकी, कविताओं, भजनों व देशभक्ति गीतों द्वारा विद्यार्थियों ने महापुरुषों को याद किया। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के प्रत्येक विद्यार्थी ने गांधीजी व शास्त्रीजी को यादकर उनके आदर्शों को जी भरकर जिया और अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। गांधी सप्ताह के दौरान बीएड विभाग के विद्यार्थियों की नाटक प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें सात वर्गों में गांधीजी के जीवन पर आधारित सात नाटकों की शानदार प्रस्तुति की गई। ये वर्ग थे- गुरुगोविन्द सिंह ग्रुप, मदन मोहन मालवीय ग्रुप, रानी लक्ष्मीबाई ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू ग्रुप, विवेकानंद ग्रुप व गौतमबुद्ध ग्रुप। इनमें श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले रानी लक्ष्मी बाई ग्रुप को प्रथम, विवेकानंद ग्रुप द्वितीय व गौतमबुद्ध ग्रुप तृतीय स्थान पर रहे। इसके अलावा गांधी सप्ताह में यशोदा अस्पताल कौशाम्बी की ओर से हृदय व श्वांस रोग चिकित्सा शिविर लगाया गया। कार्डियोलोजिस्ट डाॅ. असित खन्ना ने मेवाड़ स्टाफ व विद्यार्थियों को हृदय रोग व श्वांस रोग के लक्षण व उनसे बचाव के उपायों पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। शिविर में कुल 120 विद्यार्थियों व मेवाड़ सदस्यों की ईसीजी, ब्लड शुगर, फेफडों की जांच, ब्लड प्रेशर आदि की जांच की गई। उन्हें रोगों से बचने की सलाह भी दी गई। 
विवेकानंद सभागार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर आयोजित सांस्कृतिक समारोह में विद्यार्थियों ने देशभक्ति कविताओं व अपने विचारों के जरिये महापुरुषों को याद किया। इस मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने महात्मा गांधी व शास्त्री जी के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंग सुनाये। उन्होंने बताया कि गांधी जी सम्पन्न परिवार से होने के बावजूद सादा जीवन जिये और आम आदमी की तरह जनता के बीच रहे, इसीलिए उनका आंदोलन जन आंदोलन बना। अंग्रेजों से उन्होंने जनता के बूते स्वाधीनता छीनी। जनता की आवाज बने, तभी गांधी जी राष्ट्रपिता कहलाये। इसी प्रकार साधारण कद-काठी होने के बावजूद शास्त्री जी ने असाधारण कार्य किये। अन्न संकट से देश की जनता को छुटकारा दिलाया। लेकिन ताशकंद समझौते से इतना आहत हुए कि वह स्वदेश लौट ही न सके और ग्लानिभूत होने से उनकी वहीं मृत्यु हो गई। समारोह में विद्यार्थियों ने कविताओं, भजनों, देशभक्ति गीतों व सम्भाषण के जरिये अपने श्रद्धासुमन महापुरुषों को अर्पित किये। इस मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थी महापुरुषों की बातों को सुनें ही नहीं, उनपर अमल भी करें। इनपर अमल करके ही वे अपने समाज व देश को खुशहाल बना सकते हैं। समेत मेवाड़ परिवार के तमाम सदस्य मौजूद थे। राष्ट्रगान के साथ समारोह का विधिवत समापन हुआ।  
News Reporter

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