नई दिल्ली, भारत की लॉजिस्टिक स्किलिंग कंपनी सैफएजुकेट ने सामाजिक तौर पर स्टूडेंट्स को सशक्त बनाने के लिए‘नहीं मीन्स नो’ अभियान के तहत विशेष कार्यशाला का आयोजन करने का फैसला किया है। स्टूडेंट्स को इस दौरान यौन हिंसा, बलात्कार, सुरक्षा और सशक्तिकरण के बारे में जागरुक किया जाएगा। ‘नहीं मीन्स नो’ अभियान का फोकस यौन हिंसा और उत्पीड़न के बारे में जागरुक करने के साथ ही मानसिकता को बदलने पर है। सैफएजुकेट यह सीख अपने देशभर के सभी 50,000 स्टूडेंट्स को देना चाहता है, जिसकी शुरुआत इसी महीने नोएडा में होगी। इस कार्यक्रम के जरिये सैफएजुकेट के छात्र नहीं कहने के महत्व और ताकत को सीखेंगे, पर्सनल स्पेस क्या होती है यह समझेंगे, साथ ही उनके आसपास हो रहे या उनके साथ हो चुके बुरे कामों पर बात करना सीखेंगे। इस कार्यशाला में उन्हें मिशन फाइटबैक के जरिये इजरायली, क्राव मेगा सेल्फ डिफेंस तकनीक भी सिखाई जाएगी और विकी कपूर उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के तौर-तरीके सिखाएंगे। बातचीत के दौरान ‘नहीं मीन्स नो’ अभियान की संगीता बोस टैगोर आनंद होस्ट रहेंगी और वह किसी के शरीर पर अधिकार (नहीं कहने का अधिकार), सोशल कंडीशनिंग (सामाजिक अनुकूलन), उत्पीड़न के प्रकार (संक्षेप में), छेड़छाड़, साइबर उत्पीड़न के साथ ही पर्सनल स्पेस और इंस्टिक्ट, नहीं की ताकत, कानून तोड़ने पर संभावित सजा जैसे विषयों पर छात्रों की जानकारी को बढ़ाएंगी। यदि आप किसी तरह का उल्लंघन करते हैं तो आपके परिवार और आपकी जिंदगी पर उसका क्या नतीजा होगा, यह भी बताने की कोशिश करेंगी। ‘नहीं मीन्स नो’ अभियान के आयोजकों ने सामाजिक उद्यमी दिव्या जैन को रोल मॉडल के तौर पर चुना हैं, क्योंकि वह एक ऐसी महिला हैं जो समाज में बदलाव का प्रतीक बनकर उभरी हैं। भारतीय युवाओं को हुनरमंद बनाने और उनकी रोजगारपरकता को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। वह अपने संस्थानों से पास हो चुके स्टूडेंट्स के जरिये सामाजिक रूप से जागरुक समूह बनाने के मिशन को हाथ में ले रही हैं। ‘नहीं मीन्स नो’ छात्रों के 50 हजार से ज्यादा लोगों के लिए काम कर रहे सैफएजुकेट स्कूल्स के स्किल लर्निंग करिकुलम में वैल्यू एडिशन के तौर पर जुड़ेगा। एक रोल मॉडल होने के नाते वह सशक्तिकरण, स्टैंड लेने, सकारात्मक पौरुष, सहमति का संदेश देंगी। सैफएजुकेट की संसथ्पाक दिव्या जैन ने कहा, “जिस तरह नहीं मीन्स नो अभियान एक विचारधारा के रूप में सामने आता है और काफी-कुछ सिखाता है, यह निश्चित रूप से सभी की मानसिकता को बदलने के लिए प्रेरित करेगा। हमें बहुत खुशी है कि यह कार्यक्रम अब सैफएजुकेट स्कूलों का हिस्सा है और इसके साथ हम सशक्त और बुद्धिमान युवाओं की एक पीढ़ी बनाने में सक्षम होंगे। हम पाठ्यक्रम के तरीके से बहुत संतुष्ट हैं और हम भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले हमारे छात्रों के साथ 100% कनेक्ट देख रहे हैं।” नहीं मीन्स नो की प्रवक्ता संगीता बोस टैगोर आनंद ने कहा, “हमें खुशी हैं कि हमने भारत के अग्रणी लॉजिस्टिक्स एजुकेशन इंस्टीट्यूशन सैफएजुकेट के साथ साझेदारी की है, जिसके जरिये यौन हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ छात्रों को जागरुक, सशक्त बनाने और संदेश को प्रसारित करने के उद्देश्य में मदद मिलेगी। हम उन युवाओं के बीच से युवा समर्थक और दूत बनाने की उम्मीद कर रहे हैं जो अपनी आवाज उठाएंगे और अपने मुद्दों के साथ खड़े होंगे। हम अपने शहर / देश में यौन हिंसा की महामारी समाप्त करने के लिए काम कर रहे लोगों और प्लेटफॉर्म को जोड़ रहे हैं और उन्हें हाइलाइट कर रहे हैं।” नहीं मीन्स नो अभियान एक मूवमेंट है जिसे प्रतिष्ठित महिला नेताओं सुनंदा लाहिरी कश्यप (जो क्रैजीमी बीस्पोक स्टेशनरी चलाती हैं), आंचल सेठी (फिक्की वायएफएलओ की चेयरपर्सन दिल्ली, 2017-18), आफशीन मुल्ला कंवर (इमोशनल एम्पावरर), पिया देसाई पसरीचा (सोशल मीडिया आंत्रप्रेन्योर- मम्मी ए-जेड) और संगीता बोस टैगोर आनंद (यूथ वेलनेस एडवोकेट, एम्पाथ, पोएट) ने शुरू किया था।