प्रफेसर की छिनेगी नौकरी, शोधार्थी का पंजीकरण होगा निरस्त
नई दिल्ली। पीएचडी में थीसिस चोरी अब दंडनीय अपराध होगा। आरोप सही पाये जाने पर पीएचडी कराने वाले प्रोफेसर की नौकरी छिनेगी और शोध करने वाले छात्र का पंजीकरण निरस्त होगा। यूजीसी ने एचआरडी मिनिस्ट्री की मंजूरी के बाद रेग्युलेशंस को नोटिफाई कर दिया है। इस नियम के माध्यम से संस्थानों के लिए अनिवार्य बनाया गया है कि वे साहित्यिक चोरी पकड़ने वाले सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा छात्रों, फैकल्टी, रिसर्चर्स और स्टाफ को इन सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था भी संस्थान को ही करनी होगी। थीसिस चोरी को चार स्तरों लेवल 0, लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 में बांटा गया है।
लेवल 0
परिभाषा– 10 फीसदी तक समानता या मामूली समानता पाए जाने पर इसे लेवल 0 श्रेणी में रखा जाएगा।
दंड– इसके लिए किसी तरह के दंड का प्रावधान नहीं है।
लेवल 1
परिभाषा– 10 फीसदी से ज्यादा से लेकर 40 फीसदी तक समानता
दंड– 6 महीने के अंदर निर्धारित समय पर छात्र को संशोधित स्क्रिप्ट जमा करने के लिए कहा जाएगा।
अगर डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेने को कहा जाएगा
लेवल 2
परिभाषा– 40 फीसदी से ज्यादा से लेकर 60 फीसदी तक
दंड– एक साल तक छात्र को संशोधित स्क्रिप्ट जमा करने पर रोक लगा दी जाएगी।
अगर डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेना होगा, एक साल इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा, दो सालों तक किसी नए स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक
लेवल 3
परिभाषा– 60 फीसदी से अधिक समानता
दंड– जिस प्रोग्राम के लिए थीसिस जमा किया है, उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।
अगर डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेना होगा, दो सालों तक इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा, तीन सालों तक किसी नए स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक
क्या है नियम-
नियम में यह स्पष्ट किया गया है कि थीसिस, डिजर्टेशन या इस तरह का अन्य कोई दस्तावेज जमा करने से पहले छात्र को एक शपथपत्र देना होगा। बताना होगा कि दस्तावेज छात्र द्वारा खुद तैयार किया गया है और असली काम है। प्रत्येक सुपरवाइजर को एक सर्टिफिकेट जमा करना होगा, जिसमें बताना होगा कि शोधार्थी द्वारा किया गया काम चोरीमुक्त है।साभार