ग़ज़लकार राजेश मयंक की दो ग़ज़लें

1-कितना सुन्दर, कितना प्यारा प्यार है
कौन कहता है ये शै बेकार है

तुम तबीयत से ज़रा हां तो करो
चाहने को दिल तुम्हें तैयार है

बस ज़ुबां चुप है मगर क्या सच नहीं
दिल में तेरे भी छुपा इकरार है

तुम भी राज़ी, हम भी राज़ी तो भला
बोल दो किस‌ बात पे तकरार है

मिलना जुलना प्यार में होगा मगर
हम जुदा होंगे ये भी आसार है

चाहतों की पाठशाला तुम बनो
नफ़रतों की हर तरफ दीवार है

2-तुम्हारा दिल अगर मेरी मुहब्बत में बहक जाए
तो मेरी भी ये दुनिया फिर उजालों में चमक जाए

हवाओं में तू ही शामिल, फिज़ाओं में तेरी खुशबू
ज़रा मेरे करीब आ‌ जा तो दिल मेरा महक जाए

हज़ारों रूप देखा पर मुझे कोई नहीं भाया
तेरे चेहरे पे आके बस मेरी चाहत ठिठक जाए

दिवाना हूं, खटकता हूं, मैं लोगों की निगाहों में
तू आ ऐसे मेरे घर में ज़माना भी दुबक जाए

अभी आए, अभी जाना है ठहरो ना कि थोड़ी अब
मेरे आंगन में खुशियों की परी भी तो थिरक जाए

News Reporter

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