‘झोलाछाप डाक्टर हैं एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ने का कारण’ 

एमिटी विश्वविद्यालय में संक्रामक पल्मोनरी विकार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
नोएडा। एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फार्मेसी द्वारा हाॅस्पीटल फार्मेसी फाउंडेशन के सहयोग से ‘‘संक्रामक पल्मोनरी विकारःएंटीमाइक्रोबियल -प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के उद्गमन एवं प्रसार पर नियंत्रण’’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन एफ ब्लाक सभागार में किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. अनुराग भार्गव, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वैज्ञानिक डाॅ. कामिनी वालिया, हाॅस्पीटल फार्मेसी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष आरए गुप्ता, एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ. डब्लू सेल्वामूर्ती एवं एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डाॅ. बीसी दास ने पांरपरिक दीप जलाकर किया। इसमें एमिटी विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के शोधार्थियों एवं छात्रों ने हिस्सा लिया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. अनुराग भार्गव ने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ने से पल्मोनरी विकार का संक्रमक एवं अन्य संक्रमण बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि झोलाछाप चिकित्सक जो बिना किसी वैध डिग्री या लाइसेंस के लोगों का इलाज करते है एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ने का कारण हैं। वे मरीजों को बिना सोचे-समझे या प्रयोगशालाओं में जांच कराये एंटीबायोटिक देते रहते हैं। जिससे कुछ समय बाद उनका असर समाप्त हो जाता है। यह झोलाछाप डाक्टर, मरीज को तुरंत लाभ पहुँचाने के लिए स्टीरॅाइड का प्रयोग भी करते हैं। डाॅ. भार्गव ने कहा कि एंटीबायोटिक देने से पूर्व मरीज के रक्त आदि की जांच अत्यंत आवश्यक होती है। आज कई दवाइयां हैं जो पहले से मौजूद हैं और जिनका उपयोग किया जा रहा है, इनका असर भी दिख रहा है। समस्या के निवारण के लिए शोधार्थियों एंव वैज्ञानिकों को आगे आना होगा और इस विषय पर शोध करके हमें राह दिखानी होगी। 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वैज्ञानिक डाॅ. कामिनी वालिया ने भारत में एंटीमाइक्रोबियल -प्रतिरोधी विषय पर कहा कि एंटीबाॅयोटिक की भूमिका केवल संक्रामक रोगों तक सीमित नहीं है। भारत में कई संक्रामक रोग जैसे मलेरिया, टीबी, एड्स आदि हैं। एंटीबाॅडी के गलत उपयोग के माध्यम से प्रतिरोध तेज हो जाता है। एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ. डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि एमिटी द्वारा संक्रामक पल्मोनरी विकार एवं एंटीमाइक्रोबियल- प्रतिरोधी क्षेत्र में कई शोध किये जा रहे हैं। इस प्रकार के सम्मेलनों द्वारा हम शोधार्थियों एवं छात्रों को संबधित क्षेत्र मे हो रहे आविष्कार एवं शोध को जानने का मौका देते हैं। एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डाॅ. बीसी दास ने कहा कि आज बढ़ती एंटीबायोटिक प्रतिरोध की समस्या सिर्फ भारत में नही वरन पूरे साउथ एशिया में है। हमें इस क्षेत्र में चुनौतियों को समझकर उनके निवारण हेतु कार्य करना होगा। तकनीकी सत्र के अंतर्गत यूएसए के इलिनाॅस विश्वविद्यालय के काॅलेज आॅफ मेडीसिन के फार्माकोलाॅजी विभाग के डाॅ. जेसी जोशी, केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के प्रिंसिपल वैज्ञानिक डाॅ. एमपी दारोकर ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फार्मेसी के संयुक्त निदेशक डाॅ. तनवीर नावेद एवं कार्यक्रम के संचालक सचिव पुनीत त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

News Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *