बस महिलाओं को मौके दो, वे स्वयं आगे बढ़ेंगीं-ज्ञानसुधा मिश्रा
– देश के सर्वोच्च न्यायालय व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों-अधिवक्ताओं ने शिरकत की
– देश के विभिन्न लाॅ काॅलेजों के 32 वक्ताओं ने विषय सम्बंधी पर्चे पढ़े
गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश ज्ञानसुधा मिश्रा ने कहा कि महिलाएं पुरुषों से कहीं कम नहीं हैं। इसलिए बस महिलाओं को मौके दो। वे आगे बढ़ेंगीं। जो गुण उनमें है, वह विकसित होगा। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित नेशनल सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने यह विचार व्यक्त किये। सेमिनार का विषय ‘भारतीय समाज में लिंग न्याय-उभरते रुझान और चुनौतियां’ था।
उन्होंने कहा कि विषय अच्छा चुना गया है। मेवाड़ के विद्यार्थी जब वकील बनें तो महिलाओं की लड़ाई प्राथमिकता से लड़ें। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के टिप्स दिये। कहा कि सहनशीलता कभी मत छोड़ो। पानी सिर से ऊपर चला जाए तो डटकर मुकाबला करो। अपने शत्रु को मुंहतोड़ जवाब दो। हर व्यक्ति में एक न्यायाधीश होता है। उसकी बात हमेशा सुनो और अपनी सीमा मत लांघो। विशेष अतिथि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरबी मिश्रा ने कहा कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान होता है वह महान बनता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि संविधान के अनुच्छेद का पालन करें, समान दृष्टिकोण अपनाएं और महिलाओं का सदैव सम्मान करें। दूसरे विशेष अतिथि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वी. शेखर ने कहा कि महिला और पुरुष के लिए देश में अब एक कानून बनना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय, अश्विनी कुमार दुबे व स्नेहाशीष मुकर्जी ने भी विषय सम्बंधी विचार प्रकट किये और महिलाओं को समान दर्जा देने की बात पर बल दिया।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने में केवल पढ़ने-लिखने की आदतें ही काम आती हैं। कानून बहुत बन गये, संशोधन भी बहुत हो रहे हैं लेकिन समाज में आज भी जागरूकता की कमी है। महिलाओं को देश की आजादी के बाद भी वह स्थान हम नहीं दे पाये जो दिया जाना चाहिए था। हम अपनी सोच के दायरे से बाहर निकलें और नई समझ पैदा करने के लिए खूब पढ़ें-लिखें तभी जागरूकता आएगी और समाज व देशहित में कोई अच्छे प्रयास सार्थक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि देश के लिए आज सामूहिक जीवन जीना जरूरी है। सभी अतिथियों को डाॅ. गदिया ने संस्थान की ओर से गुलदस्ते, स्मृति चिह्न व शाॅल भेंटकर सम्मानित किया। नेशनल सेमिनार के दूसरे सत्र में देशभर के लाॅ काॅलेजों से आए चुनिंदा 32 वक्ताओं ने पर्चे पढ़े। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि मूर्तियों का सम्मान तो इस देश में बहुत होता है, मगर अब जीती-जागती महिलाओं का सम्मान भी हम करना सीखें। तभी बदलाव आएगा और देश को सही दिशा मिलेगी। नेशनल सेमिनार में मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट के सभी शिक्षकगण व विद्यार्थी भारी संख्या में मौजूद थे। संचालन शरद पांडेय व आरुषि ने किया।